Guru Purnima Par Nibandh in Hindi: गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक पवित्र और विशेष पर्व है। यह दिन गुरु के प्रति सम्मान, आभार और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। भारतीय परंपरा में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊंचा माना गया है, क्योंकि गुरु ही हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। “गुरु” शब्द का अर्थ ही होता है – “अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला।”
गुरु पूर्णिमा पर निबंध: Guru Purnima Par Nibandh in Hindi
गुरु का महत्व
गुरु जीवन के हर मोड़ पर हमें सही राह दिखाते हैं। वे न केवल हमें पढ़ाते हैं, बल्कि जीवन के मूल्यों को समझने का मार्ग भी प्रदान करते हैं। गुरु एक शिक्षक, मार्गदर्शक, प्रेरक और मित्र होते हैं। वे हमें जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति करने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने की प्रेरणा देते हैं। भारतीय परंपरा में कहा गया है:
“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।”
इससे यह स्पष्ट होता है कि गुरु का स्थान कितना महान और पूजनीय है।
जीर्ण झालेल्या किल्ल्याचे आत्मचरित्र मराठी निबंध | Dilapidated Fort Autobiography Marathi Essay
गुरु पूर्णिमा का इतिहास
गुरु पूर्णिमा का संबंध महर्षि वेद व्यास से है, जो वेदों के संकलनकर्ता और महाभारत जैसे महान ग्रंथ के रचयिता थे। उन्हें आदि गुरु माना जाता है। उनके सम्मान में यह दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण आकार में होता है, इसलिए इसे “पूर्णिमा” कहते हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह हमारे भीतर गुरु के प्रति कृतज्ञता की भावना जगाने का एक अवसर है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है। गुरु हमारे जीवन की नैतिकता, आदर्श और संस्कारों को दिशा देते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि चुनौतियों का सामना कैसे करना है और सफलता की राह कैसे तय करनी है।
गुरु पूर्णिमा का उत्सव
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। विद्यालयों और कॉलेजों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। धार्मिक स्थलों पर सत्संग और प्रवचन होते हैं। शिष्य इस दिन अपने गुरु को उपहार और श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं। यह दिन गुरु-शिष्य संबंध को मजबूत करने का प्रतीक है।
आधुनिक युग में गुरु का स्थान
आज के समय में गुरु का स्थान केवल शिक्षक तक सीमित नहीं है। हमारे माता-पिता, हमारे सीनियर, यहां तक कि हमारा जीवन भी हमें बहुत कुछ सिखाता है। तकनीकी युग में जहां ज्ञान के साधन बदल गए हैं, वहीं गुरु का महत्व आज भी वही है। गुरु हमें सही और गलत का अंतर समझाते हैं और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा का दिन हमें अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है। गुरु के बिना जीवन अधूरा है। उनकी शिक्षा और आशीर्वाद से ही हम जीवन की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने गुरु के आदर्शों पर चलेंगे और उनके बताए मार्ग का पालन करेंगे।
“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।”
गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर, सभी गुरुजनों को हृदय से प्रणाम और उनकी शिक्षाओं के प्रति आभार व्यक्त करें। आइए, इस दिन को अपने जीवन में ज्ञान और विनम्रता का संदेश लेकर मनाएं।
1 thought on “गुरु पूर्णिमा पर निबंध: Guru Purnima Par Nibandh in Hindi”